प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) उत्तर प्रदेश के प्रमुख और सबसे बड़े शहरों में से एक है। यह एक अंतर्देशीय प्रायद्वीप (inland peninsula) है, जो तीन ओर से गंगा और यमुना नदियों से घिरा हुआ है और केवल एक दिशा में मुख्य भूमि से जुड़ा हुआ है।
प्रयागराज उत्तर प्रदेश राज्य के दक्षिणी भाग में स्थित है। यह भारत का एक प्रमुख ऐतिहासिक और धार्मिक नगर है। इसकी भौगोलिक अवस्थिति 25°28′ उत्तर अक्षांश और 81°50′ पूर्व देशांतर पर है।
यह शहर गंगा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित है, जो इसे तीर्थराज का दर्जा देता है।
यहाँ का भूभाग मुख्यतः समतल और उपजाऊ है, जो गंगा-यमुना दोआब क्षेत्र में आता है।
प्रयागराज की सीमा उत्तर में प्रतापगढ़, पूर्व में मिर्ज़ापुर, पश्चिम में कौशाम्बी और दक्षिण में रीवा (मध्य प्रदेश) से मिलती है।
यह गंगा-यमुना दोआब क्षेत्र का हिस्सा है, जो उपजाऊ मिट्टी के लिए प्रसिद्ध है।
दोआब क्षेत्र की भूमि गेहूं, धान, गन्ना और दलहन की खेती के लिए उपयुक्त है।
दक्षिणी और पूर्वी भागों की भूमि अपेक्षाकृत शुष्क और चट्टानी है, जो पड़ोसी बुंदेलखंड और बघेलखंड क्षेत्रों से मिलती-जुलती है।


प्रयागराज में उष्णकटिबंधीय जलवायु पाई जाती है, जिसमें चार मुख्य ऋतुएँ होती हैं:
ग्रीष्म ऋतु (अप्रैल – जून):
अधिकतम तापमान 45°C तक पहुँच सकता है।
यह समय गर्म और शुष्क होता है।
वर्षा ऋतु (जुलाई – सितंबर):
औसत वर्षा 1027 मिमी होती है।
दक्षिण-पश्चिमी मानसून के कारण यहाँ अच्छी बारिश होती है।
शीत ऋतु (दिसंबर – फरवरी):
तापमान कभी-कभी 2°C तक गिर सकता है।
जनवरी में घना कोहरा सामान्यतः देखा जाता है।
बसंत और शरद ऋतु (मार्च, अक्टूबर-नवंबर):
इस समय मौसम सुहावना और संतुलित रहता है।
भारत की मानक समय रेखा (Indian Standard Time - IST) प्रयागराज के पास से गुजरती है।
यह शहर उत्तर और मध्य भारत का मिलन बिंदु है, जिससे इसका प्रशासनिक और सांस्कृतिक महत्त्व बढ़ जाता है।
गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदी के संगम पर स्थित होने के कारण यह धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
प्रयागराज उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण शहरों में से एक है। इसकी जनसंख्या में विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों और भाषाओं के लोग शामिल हैं।
कुल जनसंख्या: 2011 की जनगणना के अनुसार प्रयागराज जिले की कुल जनसंख्या 59 लाख (5.9 मिलियन) थी, जिसमें शहरी क्षेत्र की जनसंख्या लगभग 12 लाख (1.2 मिलियन) थी।
भाषाएँ: यहाँ मुख्य रूप से हिंदी, उर्दू, अंग्रेज़ी और इलाहाबादी (स्थानीय बोली) बोली जाती हैं। हिंदी की अवधी और खड़ी बोली दोनों प्रचलित हैं।
धार्मिक विविधता: प्रयागराज में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और जैन समुदायों के लोग निवास करते हैं। यहाँ सभी प्रमुख धर्मों के अनुयायी मिलते हैं, जिससे यह शहर सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक बना हुआ है।
शिक्षा दर: प्रयागराज की साक्षरता दर 74.41% है, जो राज्य की औसत साक्षरता दर से अधिक है। यह शहर भारत के प्रमुख शैक्षिक केंद्रों में से एक माना जाता है।
शहरी क्षेत्र: प्रयागराज शहर एक महानगरीय क्षेत्र के रूप में विकसित हो रहा है। यहाँ के प्रमुख इलाके जैसे सिविल लाइंस, कटरा, झूंसी, नैनी, तेलियरगंज और कीडगंज अत्यधिक जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्र हैं।
ग्रामीण क्षेत्र: प्रयागराज जिले में कई गाँव और कस्बे शामिल हैं, जहाँ कृषि और पारंपरिक व्यवसाय आजीविका के प्रमुख साधन हैं।
प्रयागराज में शैक्षणिक और प्रशासनिक केंद्र होने के कारण देशभर से लोग यहाँ आकर बसते हैं।
रेलवे, प्रशासन, न्यायपालिका और शिक्षा क्षेत्र में रोजगार की अधिकता होने से यह शहर प्रवासियों के लिए एक आकर्षण केंद्र बना हुआ है।
माघ मेले और कुंभ मेले के दौरान यहाँ अस्थायी रूप से लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं, जिससे शहर की अस्थायी जनसंख्या कई गुना बढ़ जाती है।
प्रयागराज – एक सांस्कृतिक संगम
जनसंख्या की विविधता के कारण प्रयागराज को धार्मिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक संगम कहा जाता है। यह शहर अपनी शिक्षा, प्रशासनिक संस्थानों, साहित्य, धार्मिक पर्यटन और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है।






प्रयागराज का प्रशासनिक पुनर्गठन
प्रयागराज का प्रशासनिक ढांचा समय-समय पर बदलता रहा है। ऐतिहासिक रूप से यह इलाहाबाद के रूप में जाना जाता था, लेकिन 2018 में इसका नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया गया। इस शहर का प्रशासनिक पुनर्गठन विभिन्न स्तरों पर किया गया है, जिसमें जिला, मंडल और नगर निगम स्तर पर परिवर्तन शामिल हैं।
1. मंडलीय पुनर्गठन (Divisional Reorganization)
❖ पहले प्रयागराज मंडल में कई जिले शामिल थे, लेकिन प्रशासनिक सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए कुछ जिलों को अलग कर नई प्रशासनिक इकाइयाँ बनाई गईं।
❖ पुराना प्रशासनिक स्वरूप:
प्रयागराज मंडल में पहले इटावा, फर्रुखाबाद, कानपुर देहात जैसे जिले भी शामिल थे।
बाद में इन्हें आगरा और कानपुर मंडल में स्थानांतरित कर दिया गया।
वर्तमान में प्रयागराज मंडल में चार जिले आते हैं:
प्रयागराज 2. कौशांबी 3. प्रतापगढ़ 4.फतेहपुर


2. जिला पुनर्गठन (District Reorganization)
❖ पहले प्रयागराज जिला काफी बड़ा क्षेत्र कवर करता था।
❖ पुनर्गठन के तहत पश्चिमी हिस्से को काटकर 1997 में कौशांबी जिला बना दिया गया।
❖ इसके बाद प्रयागराज जिला मुख्य रूप से तीन तहसीलों में विभाजित रहा:
सदर तहसील
फूलपुर तहसील
करछना तहसील
बाद में और विस्तार करके बारा और मेजा नामक दो और तहसीलें जोड़ी गईं।
❖ प्रयागराज नगर निगम उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े नगर निगमों में से एक है।
❖ इसमें कई नए क्षेत्र नगर निगम सीमा में शामिल किए गए हैं ताकि शहरीकरण को व्यवस्थित किया जा सके।
❖ 2018 के बाद नगर निगम का क्षेत्र विस्तारित किया गया, जिसमें कई ग्रामीण क्षेत्र भी शहरी सीमा में शामिल किए गए।


❖ स्वतंत्रता के बाद प्रयागराज उच्च न्यायालय (इलाहाबाद हाई कोर्ट) को उत्तर प्रदेश की न्यायिक व्यवस्था का मुख्यालय बनाया गया।
❖ पुलिस प्रशासन को बेहतर बनाने के लिए नए थानों और सर्किलों का निर्माण किया गया।
❖ शहर को कई पुलिस जोनों और सर्किलों में बाँटा गया ताकि कानून व्यवस्था को प्रभावी बनाया जा सके।
5. प्रशासनिक और राजनीतिक महत्त्व
❖ प्रयागराज प्रशासनिक दृष्टि से उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
❖ यह राजनीति, न्यायपालिका, और शिक्षा का प्रमुख केंद्र बना हुआ है।
❖ प्रशासनिक पुनर्गठन ने शहर के सुचारू विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
प्रयागराज का प्रशासनिक पुनर्गठन इसे आधुनिक, सुगठित और सुव्यवस्थित बनाने में मददगार साबित हुआ है। यह उत्तर प्रदेश की न्यायिक, प्रशासनिक और सांस्कृतिक राजधानी के रूप में स्थापित हो चुका है।
प्रयागराज अपनी भौगोलिक स्थिति, जनसंख्या संरचना और विविध जलवायु के कारण एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक, प्रशासनिक और धार्मिक केंद्र है। यहाँ की नदी संरचना, ऐतिहासिक धरोहरें और जनसंख्या का विविध स्वरूप इसे भारत के प्रमुख शहरों में एक विशिष्ट स्थान प्रदान करता है।
प्रयागराज की जलवायु भी इस शहर के जीवन को आकार देती है। गर्मी के मौसम में उच्च तापमान के बावजूद, यहाँ की नदियाँ और हरियाली जलवायु को सहनशील बनाती हैं। मानसून में बाढ़ की संभावना रहती है, लेकिन यह बारिश कृषि के लिए लाभकारी होती है। सर्दी का मौसम शहर के जीवन के लिए आरामदायक और सक्रिय समय होता है, जहाँ सांस्कृतिक गतिविधियाँ और मेलों का आयोजन बड़े धूमधाम से किया जाता है।
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प्रयागराज अपनी भौगोलिक स्थिति, जनसंख्या संरचना और विविध जलवायु के कारण एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक, प्रशासनिक और धार्मिक केंद्र है।