प्रयागराज और स्वतंत्रता संग्राम

प्रयागराज (तत्कालीन इलाहाबाद) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक अहम स्थान रखता है। यह शहर केवल भौगोलिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि क्रांतिकारी विचारों, राजनीतिक आंदोलनों और राष्ट्रीयता की भावना के केंद्र के रूप में भी महत्वपूर्ण रहा है।प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और प्रयागराज

चंद्रशेखर आज़ादचंद्रशेखर आज़ाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे साहसी क्रांतिकारियों में से एक थे। उनका संकल्प था कि वह ब्रिटिश हुकूमत के हाथों कभी गिरफ्तार नहीं होंगे। इसी संकल्प को निभाते हुए उन्होंने 27 फरवरी 1931 को अल्फ्रेड पार्क (अब चंद्रशेखर आज़ाद पार्क, प्रयागराज) में अपनी आखिरी लड़ाई लड़ी।

  • ब्रिटिश पुलिस को सूचना मिली कि चंद्रशेखर आज़ाद अल्फ्रेड पार्क में हैं

  • पुलिस ने चारों तरफ से पार्क को घेर लिया और उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए कहा।

  • आज़ाद ने बहादुरी से अपनी पिस्तौल से ब्रिटिश पुलिस का सामना किया, कई पुलिसकर्मियों को घायल किया।

  • जब उनके पास अंतिम गोली बची, तो उन्होंने अंग्रेजों के हाथों पकड़े जाने की बजाय स्वयं को गोली मारकर शहादत प्राप्त की

मोतीलाल नेहरू (1861-1931)

एक प्रतिष्ठित वकील, स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता

  • मोतीलाल नेहरू एक सफल वकील थे, लेकिन उन्होंने अपनी समृद्ध जीवनशैली त्यागकर राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लिया।

  • वे 1919 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने।

  • उन्होंने स्वराज पार्टी (1923) की स्थापना की, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश सरकार के अंदर रहकर भारतीयों के अधिकारों के लिए संघर्ष करना था।

  • उन्होंने नेहरू रिपोर्ट (1928) तैयार की, जो स्वतंत्र भारत के लिए संविधान का प्रारूप थी।

  • उनका निवास आनंद भवन, स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र था, जहाँ कई क्रांतिकारी बैठकें हुईं।

जवाहरलाल नेहरू (1889-1964)

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री और स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेता

  • जवाहरलाल नेहरू ने 1920 में असहयोग आंदोलन में भाग लिया और कई बार जेल गए।

  • 1929 के लाहौर अधिवेशन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने, जहाँ उन्होंने "पूर्ण स्वराज" (Complete Independence) की मांग की।

  • 26 जनवरी 1930 को पहला स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का आह्वान किया।

  • उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन (1942) में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ संघर्ष जारी रखा।

  • स्वतंत्रता के बाद, वे भारत के पहले प्रधानमंत्री बने और आधुनिक भारत की नींव रखी।

महात्मा गांधीमहात्मा गांधी जून 1920 में प्रयागराज आए और यहाँ एक सर्वदलीय सम्मेलन में भाग लिया। इस सम्मेलन में स्कूलों, कॉलेजों और ब्रिटिश कानून अदालतों के बहिष्कार का निर्णय लिया गया। इस बैठक में महात्मा गांधी को असहयोग आंदोलन के नेतृत्व की जिम्मेदारी सौंपी गई।

स्वतंत्रता संग्राम में प्रयागराज का योगदान

1888 में, प्रयागराज ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के चौथे अधिवेशन की मेजबानी की, जिससे यह राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बन गया। 20वीं सदी की शुरुआत में, प्रयागराज क्रांतिकारियों का गढ़ बन गया। सुंदरलाल के कर्मयोगी कार्यालय (चौक में स्थित) ने कई युवाओं में देशभक्ति की भावना भरी। इसी दौरान, नित्यानंद चटर्जी ने ब्रिटिश क्लब पर पहला बम फेंककर इतिहास रच दिया।

1931 में, एल्फ्रेड पार्क (अब चंद्रशेखर आजाद पार्क) में महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद ने ब्रिटिश पुलिस से घिरने पर आत्मबलिदान कर दिया, लेकिन अंग्रेजों के हाथ नहीं आए।

पाकिस्तान के विचार की शुरुआत

29 दिसंबर 1930 को, अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के अधिवेशन में अल्लामा मुहम्मद इक़बाल ने पहली बार एक अलग मुस्लिम राष्ट्र (पाकिस्तान) का विचार प्रस्तुत किया। यह ऐतिहासिक क्षण प्रयागराज की धरती पर घटित हुआ

  • 1857 की क्रांतिपहली स्वतंत्रता संग्राम में प्रयागराज के क्रांतिकारियों ने भी अंग्रेजों के खिलाफ जमकर विद्रोह किया।

  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन – 1888 और 1892 में कांग्रेस का अधिवेशन प्रयागराज में हुआ, जो उस समय के राजनीतिक आंदोलन का महत्वपूर्ण हिस्सा था।

  • स्वदेशी और असहयोग आंदोलनप्रयागराज में भी स्वदेशी वस्त्रों की होली जलाकर और विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार के लिए आंदोलन हुए।

  • साइमन कमीशन विरोध (1928)प्रयागराज में साइमन कमीशन के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए।

प्रमुख स्थल और स्वतंत्रता संग्राम

  • आनंद भवन और स्वराज भवनये दोनों स्थल स्वतंत्रता संग्राम की गतिविधियों का मुख्य केंद्र थे।

  • चंद्रशेखर आज़ाद पार्कजहां चंद्रशेखर आज़ाद ने अंग्रेजों से आखिरी लड़ाई लड़ी।

  • इलाहाबाद विश्वविद्यालययह विश्वविद्यालय भी स्वतंत्रता संग्राम में कई प्रमुख नेताओं और क्रांतिकारियों का गढ़ था।

(1942) प्रयागराज में भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत

  • गांधीजी के आह्वान पर 9 अगस्त 1942 को प्रयागराज में भी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए

  • इलाहाबाद विश्वविद्यालय और कटरा क्षेत्र आंदोलन का प्रमुख केंद्र बन गए।

  • लोगों ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ नारे लगाए और प्रदर्शन किए।

प्रमुख घटनाएँ

  • रेलवे, डाकघर और सरकारी इमारतों पर हमले:

    • आंदोलनकारियों ने अंग्रेजों के प्रतीकों को निशाना बनाना शुरू किया।

  • छात्रों की बड़ी भागीदारी:

    • इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने विद्रोह का नेतृत्व किया

    • कई छात्रों को गिरफ्तार किया गया और जेल भेज दिया गया।

क्रांति की ज्वाला से लेकर राजनीतिक नेतृत्व तक, प्रयागराज ने भारत के इतिहास को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह शहर न केवल स्वतंत्रता संग्राम का साक्षी रहा, बल्कि आज भी भारतीय राजनीति और संस्कृति में अपनी मजबूत पहचान बनाए हुए है

प्रयागराज ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक केंद्रीय भूमिका निभाई। इस शहर ने न केवल राजनीतिक और क्रांतिकारी दृष्टिकोण से, बल्कि बौद्धिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी स्वतंत्रता संग्राम को आगे बढ़ाया। यह शहर स्वतंत्रता संग्राम के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

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प्रयागराज और स्वतंत्रता संग्राम

प्रयागराज ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक केंद्रीय भूमिका निभाई।